आदि और अंत के देवता कहलाने वाले भगवान शिव का ना तो कोई स्वरूप माना जाता है और ना ही आकार… उन्हें तो साक्षात निराकार ही मानते हैं। ऐसा मानना है कि आदि और अंत ना होने के कारण ही लिंग को भगवान शिव का निराकार रूप माना जाता है, वहीं, उनके साकार रूप में उन्हें भगवान शंकर के रूप में पूजा जाता है।
आखिर क्यों भगवान शिव ही इस रूप में पूजे जाते हैं –
आपके भी मन में यह सवाल ज़रूर आता होगा कि आखिर क्यों सिर्फ भगवान शिव की निराकार लिंग के रूप में पूजा की जाती है। ध्यान दें कि लिंग रूप में पूजा करने से पूरे ब्रह्मांड की पूजा हो जाती है, क्योंकि वह ही तो हैं जिन्हें पूरे संसार का मूल कारण माना गया है। यही नहीं, भगवान शिव कि मूर्ति और लिंग दोनों ही रूपों में लोग बड़ी श्रद्धा और विश्वास से पूजा करते हैं। बता दें कि ‘शिव’ का अर्थ होता है – ‘परम कल्याणकारी’ और ‘लिंग’ का अर्थ – ‘सृजन’। इसी के साथ शिव के स्वरूप से अवगत होकर जाग्रत शिवलिंग का अर्थ होता है प्रमाण।
वेदों में क्या है उल्लेख –
आपको शायद यह मालुम नहीं होगा कि वेदों और वेदान्त में लिंग शब्द सूक्ष्म शरीर के लिए ही उपयोग में आता है। जान लें कि यह सूक्ष्म शरीर 17 तत्वों से बना होता है और वह तत्व हैं – मन, बुद्धि, पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और पांच वायु। दूसरी ओर अगर वायु पुराण की मानें तो प्रलयकाल के वक्त जब पूरी सृष्टि लीन हो जाती है और फिर से जब वह सृष्टिकाल में प्रकट होती है उसे लिंग कहा जाता हैं। ध्यान रहें कि विश्व की संपूर्ण ऊर्जा ही लिंग की प्रतीक है।
पौराणिक कथा यहां जानें –
वह समय समुद्र मंथन का था… जब सभी देवता अमृत पाने के लिए पागल से हो गए थे, तभी भगवान शिव के हिस्से में विष आ गया… ऐसे में भगवान शिव ने बिना देर किए सारे संसार को समाप्त करने का दम रखने वाले उस विष को अपने कण्ठ में ही धारण कर लिया था, जिस कारण उनका नाम ‘नीलकण्ठ’ पड़ गया। वहीं, समुद्र मंथन के समय निकले विष को पी लेने के कारण भगवान शिव के शरीर का दाह बढ़ गया था… बस उसी दाह को कम करने के लिए शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरु हो गई, जो आज भी जारी है।
शिवमहापुराण के अनुसार –
जब पूरे संसार के कर्ता-घर्ता भगवान विष्णु ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के साथ मिलकर भगवान शिव से विनती करते हुए सवाल करते हैं कि – ‘आप कैसे खुश होते है… वहीं, ’प्रभु शिव जवाब में कहते हैं कि – ‘अगर मुझे खुश करना चाहते हो तो शिवलिंग की पूजा अवश्य करो। यही नहीं, जब भी किसी तरह की मुसिबत आ जाए या फिर आप दु:ख में घिरे हुए हो तो शिवलिंग का पूजा करनी शुरु कर दें। ऐसा करने से आपके सारे दु:ख खत्म हो जाएंगे।