हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में कुमार नवरात्र का त्योहार शुरू होने वाला है। मां दुर्गा सभी देवियों में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैं। मां दुर्गा के नौ रूप हैं। कहा जाता है कि इन नौ दिनों में माता रानी अपने परम तेज रूप में पृथ्वी पर विहार करती है। नवरात्रों में सही विधि से पूजा करने से मां दुर्गा अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें अपनी भक्ति प्रदान करती हैं।
भाग्य वह संपदा की देवी हैं मां दुर्गा-: माता रानी भाग्य व संपदा की देवी कहीं जाती हैं। इन नौ दिनों में कोई भक्त अगर सच्चे दिल से मां की आराधना कर ले तो मां खुशियों से उसकी झोली भर देती हैं और उसे धन-धान्य से परिपूर्ण कर देती हैं। आज हम आपको वह पांच काम बताएंगे जिसे करके आप माता रानी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
दरवाज़े पर बनाएं स्वास्तिक का चिन्ह-: सनातन धर्म में स्वास्तिक चिन्ह को बहुत महत्व दिया जाता है। इस चिन्ह का अर्थ सुख शांति और वैभव होता है। ऐसा माना जाता है कि अगर किसी दरवाज़े पर स्वास्तिक चिन्ह बना दिया जाए तो उस घर में कभी नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती। स्वास्तिक चिन्ह भी मां दुर्गा को अति प्रिय है। इसलिए अपने दरवाज़े पर स्वास्तिक चिन्ह अवश्य बनाएं।
रंगोली-: आप अपने घर के मुख्य दरवाज़े या पूजा के कमरे की नियमित साफ-सफाई करके उसके मुख्य द्वार पर रंगोली अवश्य बनाएं। यह रंगोली सकारात्मक शक्तियों को अपनी तरफ आकर्षित करती है और नकारात्मक शक्तियों को दूर करती है। रंगोली भी मां दुर्गा को काफी प्रिय है।
श्री दुर्गा स्तुति मंत्र-: दुर्गा माता की जितनी भी भक्ति करें वह कभी पूर्ण नहीं होती। इसीलिए आवश्यक है कि आप जितनी भी देर पूजा करें पूरे विधि-विधान और शांतचित्त मन से करें। पूजा करते समय इस श्री दुर्गा मंत्र का जाप अवश्य करें। “ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री नारायणी नमोस्तुते नमोस्तुते नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं नमोस्तुते”।
कलश पूजा-: नवरात्रि पूजन की की शुरुआत कलश पूजा से ही होती है। इसलिए अपने घर में अपनी श्रद्धा अनुसार कलश की स्थापना अवश्य करें। यह कलश पूजा मां दुर्गा को अत्यंत प्रिय है।अगर आप कलश की स्थापना ना कर पाए तो नज़दीक के मंदिर में जाकर देवी पूजा अवश्य करें। इससे माता का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहेगा।
कन्या भोज व दान -: यह विधि पूजा की अंतिम विधि मानी जाती है। नवरात्र के अंतिम दिन लोग अपनी श्रद्धा अनुसार नौ कन्याओं को मां दुर्गा के नौ रुपों का स्वरुप मानकर भोज कराते हैं और उनकी पाँव पखारते हैं और अपने श्रद्धा अनुसार कन्याओं को भेंट भी देते हैं। यह विधि माता को सबसे अधिक प्रिय है और यह विधि अमोघ फलदायी मानी जाती है।