जानें, आखिर क्यों धारण करते हैं तुलसी का माला, क्या है इसके लाभ और किन बातों का रखें ध्यान

ये बात तो हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म में तुलसी को पवित्र माना जाता है इसके अलावा ये भी बता दें कि हमारे शास्त्रो में कहा गया है कि जिस भी घर की महिलाएं परिवार में सुख-समृद्धि लाना चाहती है वो तुलसी की पूजा अवश्य करें क्योंकि ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। पर क्या आपको ये पता है कि तुलसी की तरह तुलसी की माला भी धारण करना अच्छा माना जाता है। जी हां आपको बता दें कि भगवान विष्णु और कृष्ण के भक्त तुलसी की माला को धारण करते हैं। इतना ही नहीं कहा तो ये भी जाता है कि तुलसी की माला पहनने से मन और आत्मा पवित्र होती है।

यह भी कहा जाता है कि इसके कई औषधिए गुण भी हैं। उसी तरह तुलसी की माला को भी धारण करना अच्छा माना जाता है। बड़े बुजुर्ग अपने गले में तुलसी की माला पहनकर रहते हैं और तुलसी की माला का ही जाप करते हैं। तुलसी की तरह ही इसकी माला भी बहुत लाभकारी होती है। अब आपके मन में भी ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर तुलसी की माला क्यों पहनी जाती है और इसे धारण करने से क्या क्या लाभ होते हैं तो आइए जानें

सबसे पहले तो आपको बता दें कि जिस घर में तुलसी होती है उस घर से बीमारियां कोसों दूर रहती हैं, जो व्यक्ति तुलसी की माला धारण करता है वो बहुत कम बीमार पड़ता है। इसे पहनने से यश, कीर्ति और समृद्धि में वृद्धि होती है।

इसमें औषधिय गुण होने के कारण पहनने वाले को सिरदर्द, जुखाम, बुखार, त्वचा संबंधी रोग नहीं होते हैं। अगर किसी को ये रोग हों तो इसे पहनने से रोगी को फायदा पहुंचता है।

इतना ही नहीं हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि इसे धारण करने वाले को अकाल मृत्यु या कोई हानिकारक बीमारी नहीं होती है। कहा तो ये भी जाता है कि अगर तुलसी की माला भोजन ग्रहण करते समय व्यक्ति के शरीर पर हो तो इससे व्यक्ति को कई यज्ञ करने का पुण्य प्राप्त होता है, इसी कारण बुजुर्ग इसे अपने गले में पहनते हैं।

ध्यान रहे कि तुलसी की माला को धारण करने वाले को लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। जो भी व्यक्ति तुलसी की माला को धारण करता है उसे मांस व मदिरा से भी दूर रहना चाहिए।

ज्योतिष के अनुसार कहा जाता है कि तुलसी की माला पहनने से बुध और गुरू ग्रह बलवान होते हैं। तुलसी की माला पहनने से सभी प्रकार की सुख मिलते हैं और कोई बुरी नजर नहीं लगती इसके अलावा ये भी बता दें कि इसे धारण करने से पहले इसे गंगा जल और धूप दिखाना चाहिए और उसके साथ ही साथ धारण करने के पूर्व ही मंदिर में जाकर श्रीहरि की पूजा करनी चाहिए।

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