साईं को आज किस मजहब के लोग मानते हैं या नहीं मानते हैं, इससे भी कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता। आस्था का बीजारोपण बचपन से ही हो जाता है। विरले ही होते हैं जो आगे चलकर उन्हें सिखाई हुई बातों से ऊपर उठकर अपने अस्तित्व को तलाशते हैं और अपने सही धर्म को पहचानते हैं। असली धर्म है स्वाधीनता, चिरशांति और शरणागति। साईं अपने धर्म को जान गए थे और बहुत सहज और सरल शब्दों में सभी को समझाने का प्रयास भी किया। श्रद्धा और सबुरी, शरणागति योग के सबसे सुंदर साधन हैं। ईश्वर साकार हो या निराकार समझ में सिर्फ शरणागति से ही आता है।
इतिहासकारों की मानें तो साईं खुद कौन थे, किस धर्म में पैदा हुए थे-इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती है। साईं पर लिखे गए कुछ पुराने ग्रंथों के आधार पर माना जाता है कि शिरडी के साईं बाबा का जन्म 1838 से 1842 के बीच हुआ था। वो एक फकीर और साधू जैसी जिंदगी जिया करते थे। साईं नाम उन्हें तब मिला जब वो कम उम्र में ही शिरडी आ गए। शिरडी में ही वो पुरानी मस्जिद में रहने लगे थे। मस्जिद में रहने की वजह से बहुत से लोग उन्हें मुसलमान मानते थे, लेकिन साईं ने खुद मस्जिद को ‘द्वारका माई’ नाम दिया था। इस वजह से बहुत से लोग उन्हें हिंदू धर्म का मानते थे।जाहिर है, साईं ने कभी खुद को किसी एक धर्म से नहीं बांधा। साईं के भक्तों में कितने भक्त किस मजहब के हैं-ये कोई नहीं जानता है, लेकिन साईं ऐसे संत हैं जिन्हें हर धर्म के लोग मानते हैं।
‘शिरडी वाले साईं बाबा’… यह लफ़्ज़ अपनी ज़ुबां पर लेते हुए भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए दौड़े चले जाते हैं। साईं बाबा के दुनिया के कोने-कोने में लाखों-करोड़ो भक्त हैं। बाबा के संदर्भ में ऐसा माना जाता है कि वे अपने दर पर आए हर एक भक्त की मुराद पूरी करते हैं। जो भी सच्चे मन से बाबा से मन्नत मांगता है, बाबा उसकी झोली में खुशियां भर देते हैं। यूं तो रोज़ाना ही भक्त बाबा से इच्छापूर्ति के लिए मुरादें मांगते हैं, लेकिन खासतौर पर गुरुवार के दिन भक्त बाबा से दिल खोलकर दुआएं मांगते हैं।
बाबा ने हमेशा ही एकेश्वरवाद को बढ़ावा दिया, भक्तों ने उनके मुख से हरदम ‘सबका मालिक एक’ जैसे लफ़्ज़ सुने। इस आधार से वे सभी दिनों को एक बराबर ही मानते थे, लेकिन भक्तों की श्रद्धा देखते हुए उन्होंने गुरुवार के दिन प्रभु की आराधना को अधिक महत्व दिया। इसलिए आज भक्त इस दिन पूजा-पाठ एवं व्रत रखकर बाबा से अनेक मुरादें मांगते हैं।
अगर आपके जीवन को समस्याओं ने घेर रखा हो, रूपया पैसा की तंगी बनी रहती हो, घर परिवार में सुख शांति का अभाव हो, नौकरी व्यापार में मेहनत के अनुरूप लाभ नही हो रहा हो तो लगातार 7 गुरुवार तक 108 बार रोज श्री साईं नाथ के इन मंत्रों में से किसी भी एक मंत्र का जप मोती या तुलसी की माला से करें । ऐसा करने से स्वयं प्रकट होकर साईं बाबा अपने भक्त की प्रत्येक मनोकामना पूरी कर देते हैं ।
।। श्री साईं नाथ मंत्र ।।
1- ॐ सांईं राम ।।
2- ॐ सांईं गुरुदेवाय नम: ।।
3- सबका मालिक एक है ।।
4- ॐ सांईं देवाय नम: ।।
5- ॐ शिर्डी देवाय नम: ।।
6- ॐ समाधिदेवाय नम: ।।
7- ॐ सर्वदेवाय रूपाय नम: ।।
8- ॐ शिर्डी वासाय विद्महे सच्चिदानंदाय धीमहि तन्नो सांईं प्रचोदयात् ।।
9- ॐ अजर अमराय नम: ।।
10- ॐ मालिकाय नम: ।।