पापों से मुक्ति पाने के लिए रखें योगिनी एकादशी का व्रत, पढ़ें इससे जुड़ी कथा

योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष एकादशी के दिन आता है। इस व्रत को रखने से पापों से मुक्ति मिल जाती है और हर मनोकामना पूरी हो जाती है। योगिनी एकादशी आषाढ़ मास की दशमी तिथि की रात्रि से शुरू हो जाती है और इस साल योगिनी एकादशी 29 जुलाई के दिन आ रही है।

योगिनी एकादशी व्रत के दिन रखें इन बातों का ध्यान –

– योगिनी एकादशी वाले दिन आप स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें और फिर विष्णु भगवान का नाम लेते हुए उनकी पूजा कर इस व्रत का संकल्प कर लें।

– इस व्रत वाले दिन बिलकुल भी खाना नहीं खाया जाता है और ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।

– जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत रखते हैं, वो लोग इस दिन बिस्तर की जगह जमीन पर सोएं।

– सुबह और शाम भगवान विष्णु की आराधना करें और विष्णु भगवान को खीर का भोग लगाएं। पूजा करने के दौरान आप योगिनी एकादशी व्रत से जुड़ी कथा भी जरूर पढ़ें।

– योगिनी एकादशी के दिन पीले रंग की चीजों का दान भी जरूर करें। इस व्रत के दौरान दान करना कल्याणकारी माना गया है।

– शाम के समय पीपल के पेड़ की पूजा करें और पीपले के पेड़ के पास एक तेल का दीपक भी जरूर जलाएं।

– रात्रि के समय भगवान के नाम का जाप करें और अगले दिन ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद अपने व्रत को भी तोड़ लें और खाना खा लें।

– योगिनी एकादशी के व्रत के दौरान क्रोध करने से बचें और सबसे प्रेम से ही बात करें।

योगिनी एकादशी व्रत रखने से जुड़ी कथा

योगिनी एकादशी का व्रत रखने से एक कथा जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार एक हेमा नाम की माली हुआ करती थी, जो कि बागों में फूलों का ध्यान रखती थी। हेमा रोज कुबेर राजा को ताजे फूल लाकर दिया करती थी और कुबरे राजा ताजे फूल आने के बाद भगवान शिव की पूजा शुरू किया करते थे और ये फूल भगवान शिव को अर्पित करते थे। एक दिन हेमा बागों से फूल तोड़कर कुबेर राजा के भवन जा रही थी। तभी हेमा ने सोचा की पूजा शुरू होने में तो अभी काफी समय है। तो क्यों ने मैं घर जाकर अपने पति के साथ थोड़ा समय बीता लूं। हेमा अपने पति से मिलने के लिए घर चली जाती है। दूसरी तरफ पूजा करने का समय बीता जा रहा होता है और कुबेर राजा फूलों का इंतजार कर रहे होते हैं। हेमा का काफी समय तक इंतजार करने के बाद कुबेर राजा अपने सैनिकों को उसकी तलाश में भेजते हैं। सैनिक हेमा के घर जाकर उसे पकड़कर कुबेर के पास लाते हैं और कुबेर राजा को बताते हैं कि ये अपने पति के साथ अपने घर में थी। ये बात सुनकर कुबेर राजा को गुस्सा आ जाता है और वो हेमा से क्रोधित होकर हेमा को मृत्युलोक में जाकर कोढ़ी हो जाने का श्राप देते हैं।

ये  श्राप मिलने के बाद हेमा मार्कण्डेय ऋषि से मिलने के लिए धरती पर आती हैं और उनको अपनी पूरी कहानी सुनाती हैं। मार्कण्डेय ऋषि हेमा को इस श्राप से बचने के लिए एक उपाय देते हैं और उसे आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली योगिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह देते हैं। मार्कण्डेय ऋषि द्वारा बताए गए इस उपाय को हेमा करती है और योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखना शुरू कर देती हैं। कुछ समय बाद इस व्रत के कारण हेमा को श्राप से मुक्ति मिल जाती है।

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