सूर्य को जल चढाते समय भूलसे भी ना करे ये गलती जीवनभर गरीब ही रहोगे

रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा के लिए विशेष है. ज्योतिष में सूर्य को सभी ग्रहों का अधिपति माना गया है. सूर्यदेव को जल चढ़ाने से व्यक्ति को जीवन की हर परेशानी से मुक्ति मिलती है. सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. सूर्य को जल चढ़ाने से जहां मन को शांति का अनुभव होता है, वहीं पर शरीर के रोग और जिंदगी में खुशहाली आती है. शास्त्रों के अनुसार सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देते समय कुछ ऐसी बातें हैं जिनका खास ध्यान रखना होता है. क्योंकि अगर सूर्य को अर्घ्य देते हुए ये गलतियां हो जाती हैं, तो भगवान प्रसन्न होने के बजाय क्रोधित हो जाते हैं.

  • सूर्य देव को हमेशा नहाने के बाद ही जल चढ़ाना चाहिये. आप उन्‍हें 8 बजे के अंदर ही जल चढाएं. साथ ही यह कार्य ब्रह्म मुहूर्त में कर लेना चाहिये. अर्घ्य देते समय स्टील, चांदी, शीशे और प्लास्टिक बर्तनों का प्रयोग न करें. सूर्यदेव को तांबे के पात्र से ही जल दें

 

  • सूर्य के साथ नवग्रह भी मजबूत बनते हैं, जल अर्पित करने से पहले उसमें कई लोग गुड़ और चावल मिलाते हैं ऐसा न करें. इसका कोई महत्व नहीं होता.

 

  • पूर्व दिशा की ओर ही मुख करके ही जल देना चाहिए, यदि किसी दिन ऐसा हो कि सूर्य देव नजर ना आ रहे हों, तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल दे दें.4.  सूर्य को जल अर्पित करते हुए उसमें पुष्प या अक्षत (चावल) जरूर रखें. कई लोगों का मानना है कि जल अर्पित करते समय पैर में जल की छीटें पड़ने से फल नहीं मिलता, लेकिन ऐसा नहीं होता है.

 

  •  सूर्य को जल अर्पित करते हुए सूर्य के मंत्र का जप करें, तो यह व‌िशेष लाभ मिलता है. संभव हो तो इस दौरान लाल वस्‍त्र धारण करें. अगर हो सके तो इसके बाद धूप, दीप से सूर्यदेव का पूजन करें