पूजा करते समय अगरबत्ती जलाने वाले सावधान! पूरा परिवार भुगतेगा इस गलती की सजा।

आप तो जानते ही होंगे कि हिंदू धर्म में पूजा पाठ और आरती का बहुत महत्व है। हम देवी-देवताओं की आरती करने के लिए अगरबत्ती, दीप जलाते है। जिससे प्रकाश और सुगंध दोनों उत्पन्न होती है।

पूजा में पंचोपचार अनुष्ठान में भी अगरबत्ती की महिमा का उल्लेख है। लेकिन क्या आप ने सुना होगा कि भगवान की पूजा में कभी भी अगरबत्ती नहीं जलानी चाहिए। इसके पीछे के राज के बारे में जानते है।

अगरबत्ती में होता है बांस

अगर हम हिंदू श्मशान जैसे कर्म में भी बांस की छडी नहीं जलाते है, तो इस छडी को अगरबत्ती से क्यों जलाएं। अगर आप भगवान की पूजा में सूंघना है तो अगरबत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों में जो सुगन्धित काला मसाला होता है। वहीं सुगंध फैलाता है, लेकिन अगरबत्ती में भी लाठी होती है।

शास्त्रों में कहा गया है कि बांस की डंडी को कभी नहीं जलाना चाहिए इसलिए अब आप इस प्रथा को बंद कर सकते है औऱ इसको अन्य लोगों को भी बता सकते है। वैसे भी शास्त्रों में भी पूजा विधान में अगरबत्ती का उल्लेख नहीं है।

 

इसके पीछे का क्या है वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिक कारण के अनुसार अगरबत्ती को जलाने से उस पर लगे बांस जलने लगते है। इसे जलाने से एक गैस निकलती, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक होता है।

आखिर क्या है बुजुर्गों की राय

हमारे बडे-बुजुर्ग मानते है कि अगर हम शास्त्रों के विपरीत बांस जलाते है तो यह अशुभ होता है। यह वंश को नष्ट करने वाला है। इसलिए हमें हर तरह से पूजा अर्चना में अगरबत्ती जलाना बंद कर देना चाहिए।

पूजा के समय

भगवान की पूजा करते हुए अगरबत्ती करने से आपका दिमाग और दिमाग एकाग्र होगा तो आप समाधि की स्थिति में होंगे। इससे तनाव दूर होगा।

 

धार्मिक माहौल

हिंदू धर्म में जब आप एक अगरबत्ती जलाते है। यह आपके चारों और गंध दूर करता है और सुगंध फैलाता है। सुगंध से धार्मिक वातावरण बनता है। अगरबत्ती की गंध इस बात की और से इशारा करती है कि वहां कोई धार्मिक गतिविधि चल रही है।

होते है अनेक लाभ

अगरबत्ती सिर्फ धार्मिक अभ्यास का हिस्सा नहीं है। यह चीन, मिस्त्र और तिब्बत में कई सालों से प्रचलित है। इसका प्रयोग केवल धार्मिक समारोह नहीं बल्कि अरोमाथेरेपी के रुप में भी किया जाता है। इसलिए सिर्फ धर्म ही नहीं बल्कि विज्ञान भी मानता है कि अगरबत्ती जलाने से आपको कई फायदे होते है।