आखिर भगवान को लहसुन और प्याज क्यों नहीं चढाया जाता है, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे।

हमारा भारत विविधताओं से भरा पड़ा है। इसमें कई धर्म है जिनमें हिन्दू धर्म सबसे ज्यादा प्रशिद्ध और हम भगवान को मानते है। हमारे हिन्दू धर्म में अनेक मान्यताये प्रचलित है और जिनका हम पालन भी करते हैं हिंदू धर्म में विशेषकर प्याज एवं लहसुन को भगवान को चढाने से वर्जित किया गया है।

इसीलिए इन दोनों को किसी भी धर्मिक कामों में प्रयोग नही किया जाता है और उपवास में भी इन्हें नहीं खाया जाता आज हम जानेंगे की आखिर क्यों प्याज और लहसून को पूजा पाठ से वंचित रखा जाता है।

लहसुन और प्याज को इस वजह से रखा जाता है पूजा पाठ से दूर

लहसुन और प्याज इसीलिए पूजा पाठ से दूर रखा जाता है क्योंकि , इसके पौधे राजसिक और तामसिक रूप में बंटे हुए है। जिनका मतलब है कि जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते है। क्योंकि यह जमीन पर कई जीवाणुओं की मौत का कारण बनते है। इसलिए इसके सेवन पर मनाही है।

 

शास्त्रों के अनुसार हमे जो भी भोजन ग्रहण करना चाहिए वो सात्त्विक होना चाहिए जिसमे दूध, घी, चावल, आटा, मूंग, लौकी, परवल, करेला, ये सभी पदार्थ आते हैं। और इसके अलावा तीखे, खट्टे, चटपटे, अधिक नमकीन, मिठाईयां आदि पदार्थों से निर्मित भोजन असात्विक कहलाते हैं जो की रजोगुण में बढ़ौतरी करते है ।

लहसुन, प्याज, मांस-मछली, अंडे आदि जाति से ही अपवित्र हैं और ये राक्षसी प्रवृति के भोजन कहलाते हैं |इन्हें हम सात्विक भोज्य पदार्थों के रूप में कदापि ग्रहण नहीं करना चाहिए अन्यथा अशांति, रोग और चिन्ताएं जीवन में बिन बुलाए मेहमान की तरह घर में प्रवेश कर जाती है|इसीलिए पुराणों में लहसून और प्याज का प्रयोग रसोई घर में निषिद्ध मानी जाती है।

 

इस के पीछे है एक पौराणिक कथा

इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार ऐसा माना जाता है की जब समुद्र मंथन हो रहा था तब अमृत पीने के लिए राहू और केतु ने छल से अमृत का घड़ा ले लिया था और सच्चाई का पता चलने पर भगवान विष्णु ने दोनों के सिर काट दिए थे पर तब तक अमृत उनके मुंह में जा चुका था और वो अमर हो गये थे।

परन्तु धड़ नष्ट हो गया क्यूंकि अमृत उनके मुंह से नीचे नही गया था। ऐसा करने में जब मे जब उनके शारीर से रक्त की बूंदे जमीन पर गिरी और उसी रक्त स्व प्याज और लहसुन बन गए।

 

हालांकि अमृत से उत्पन्न इन दोनों में रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। लेकिन राक्षस से उत्पन्न होने के कारण इन्हें दी देवताओं से दूर रखा जाता है और भगवान को नहीं चढाया जाता है।

इसके अलावा प्याज और लहसुन के ज्यादा प्रयोग से मनुष्य का मन पूजा अर्चना से भटकता है। और दूसरे कार्यों में ज्यादा लगने लगता है यही वजह है की हम पूजा पाठ में इन दोनों का प्रयोग नही करते।